मित्रता और धोखा : सही मार्ग का चुनाव

मित्रता जीवन का सबसे पवित्र और मजबूत रिश्ता है। यह रिश्ता खून के रिश्तों से भी बढ़कर माना जाता है, क्योंकि इसमें विश्वास, सच्चाई और निस्वार्थ प्रेम की नींव होती है। सच्चा मित्र वह है जो कठिन समय में भी साथ खड़ा रहे और हमें सही दिशा दिखाए।

लेकिन आज के समय में कुछ लोग मित्रता का मुखौटा पहनकर धोखा देते हैं। ऐसे लोग मित्र कहलाने योग्य नहीं होते। वे मित्रता का नाम लेकर केवल स्वार्थ सिद्धि करते हैं और पीठ पीछे वार करते हैं।

धोखेबाज़ मित्र का चरित्र

धोखेबाज़ मित्र क्षणिक लाभ के लिए अपनी आत्मा तक बेच देता है। वह सामने मीठी बातें करता है लेकिन पीछे से विश्वासघात करता है।

ऐसे लोग मित्रता का नहीं बल्कि अपने स्वार्थ का सम्मान करते हैं।

वे धोखे से चाहे कुछ समय तक सफल हो जाएँ, लेकिन उनकी चालाकी ज्यादा समय तक टिकती नहीं है।

भगवान सब देखते हैं — झूठ और छल कभी टिकता नहीं, सच्चाई देर-सवेर सामने आ ही जाती है।

सच्चे मित्र का महत्व

सच्चा मित्र वह है जो आपके जीवन का दर्पण बने।

वह आपकी अच्छाइयों की सराहना करता है।

आपकी गलतियों को समय पर सुधारता है।

सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।

ऐसे मित्र को कभी न छोड़ें, क्योंकि वही आपके जीवन का सच्चा मार्गदर्शक होता है।

सही मार्ग छोड़ना क्यों खतरनाक है?

जब हम सच्चे मित्र की बातों को अनसुना करके धोखेबाज़ मित्रों के पीछे चलते हैं, तो हम अपना ही नुकसान करते हैं। सही मार्ग छोड़ना जीवन में अंधकार और पछतावे का कारण बनता है।

मित्रता का वास्तविक अर्थ है – विश्वास, सत्य और निष्ठा

धोखेबाज़ मित्र से सावधान रहें, क्योंकि वे न केवल आपका विश्वास तोड़ते हैं बल्कि भगवान के न्याय से भी बच नहीं सकते।

सच्चे मित्र का सम्मान करें, क्योंकि वही आपको सही दिशा दिखाकर जीवन को सार्थक बनाता है।

याद रखें, धोखा क्षणिक हो सकता है लेकिन सच्चाई शाश्वत है। अंततः ईश्वर उसी के साथ होता है जो सच्चा और निष्ठावान होता है।

जितेन्द्र मेहरा की कलम से लेख - नर्मदापुरम 
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